( तर्ज - किस देवताने आज मेरा ० )
मत सो रहे भोले !
बडा यह काल है खडा ।
सबको पकड दबायके
तेरेलिये अडा ॥ टेक ॥
जो पडे रहे विषयकि जालमें फँसे
उसपरहि दंड देयगा ,
बस यार ! है बड़ा ॥ १ ॥
कई को उड़ा लिया ,
दिया सजा कड़ी कड़ी ।
चौरासि भोग - भोगमें
यह जान गिर पडा ? ॥२ ॥
है भुली जगतको पडी ,
आस छोडते ।
ग्यान की तलवार ले
वह संतही चढा ॥ ३ ॥
साधू - संग घर सदा
और कर हरी भजन ।
तुकड्याकी याद दिल धरो ,
क्यों भूल पड़ा ? ॥४ ॥
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